बिलकुल! नीचे एक प्रेरणादायक कहानी दी गई है जो वृक्षारोपण के महत्व को सरल, भावनात्मक और प्रभावशाली ढंग से दर्शाती है। यह कहानी न केवल बच्चों बल्कि बड़ों को भी सोचने पर मजबूर कर देगी।
🌳 कहानी: "एक बीज की विरासत"
पात्र:
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आरव: एक 10 साल का जिज्ञासु बालक
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दादाजी: 70 वर्षीय अनुभवी किसान
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स्थान: छोटा सा गाँव – हरियाली से दूर हो चुका
📖 कहानी शुरू होती है…
एक समय की बात है। एक छोटे से गाँव में आरव नाम का एक बच्चा अपने दादाजी के साथ गर्मी की छुट्टियाँ बिताने आया। गाँव कभी हरा-भरा हुआ करता था, लेकिन अब वहां धूल, गर्म हवाएं और सूखे खेत ही नजर आते थे।
एक दिन आरव ने दादाजी से पूछा,
"दादाजी, आपने कहा था कि यह गाँव पहले बहुत हरा-भरा था। अब तो यहां पेड़ ही नहीं हैं, क्यों?"
दादाजी ने मुस्कराते हुए कहा,
"बेटा, जब मैं तुम्हारी उम्र का था, तब यहां हर घर के सामने एक नीम का पेड़ होता था। खेतों के किनारे आम, इमली और पीपल के पेड़ छाया करते थे। लेकिन धीरे-धीरे लोग सुविधा के नाम पर पेड़ काटते गए, और अब देखो…"
आरव चुप हो गया, पर उसकी आँखों में सवाल थे। अगली सुबह, दादाजी आरव को खेत ले गए। उन्होंने एक छोटा सा नीम का बीज आरव के हाथ में दिया और बोले,
"आज से तुम्हारा एक पेड़ होगा। इस बीज को लगाओ, पानी दो, और इसका ध्यान रखो।"
आरव ने उत्साह से बीज लगाया और हर दिन पानी देने लगा। छुट्टियाँ खत्म हो गईं, लेकिन आरव ने गाँव छोड़ने से पहले दादाजी से वादा किया,
"जब भी आऊंगा, अपने पेड़ को देखने जरूर आऊंगा!"
समय बीतता गया। हर साल आरव गर्मियों में आता और देखता कि उसका छोटा सा पौधा अब एक मजबूत पेड़ बन रहा है। उस पेड़ की छांव में गाँव के बच्चे खेलने लगे, पक्षी चहचहाने लगे।
10 साल बाद, जब आरव युवा बन गया, वह दोबारा गाँव में रहने आया। अब गाँव में और भी कई पेड़ थे। क्योंकि आरव की देखादेखी गाँव के लोगों ने भी पेड़ लगाना शुरू कर दिया था।
दादाजी ने गर्व से कहा,
"तुमने सिर्फ एक बीज नहीं लगाया था बेटा, तुमने गाँव में हरियाली की फिर से शुरुआत की थी।"
🌿 सीख (Moral):
एक छोटा सा बीज, जब प्रेम और देखभाल से लगाया जाए, तो वह न केवल पेड़ बनता है, बल्कि समाज को नई दिशा दे सकता है। वृक्षारोपण केवल पर्यावरण की जरूरत नहीं, बल्कि एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी तक चलने वाली विरासत है।
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