130+ Chanakya Quotes in Hindi | आचार्य चाणक्य के सर्वश्रेष्ठ सुविचार, अनमोल वचन
पढ़े आचार्य चाणक्य के ज्ञानवर्धक, प्रेरणापूर्ण सर्वश्रेष्ठ सुविचार, अपने जीवन को सफल और खुशहाल बनाये.
130+ Chanakya Quotes in Hindi | आचार्य चाणक्य के सर्वश्रेष्ठ सुविचार, अनमोल वचन
विषय-सूचि: -
आचार्य चाणक्य का जीवन परिचय
- जन्म-371 BC
- मृत्यु- 283 BC, पाटलिपुत्र
- पिता-ऋषि चणक
- व्यवसाय-राजनीतिज्ञ
आचार्य चाणक्य एक अच्छे भारतीय दार्शनिक, शिक्षक, अर्थशास्त्री और न्यायविद थे. चाणक्य जो अपने बुद्धिमत्ता के प्रसिद्ध है. अक्सर उनकी चतुर राजनीतिक सलाह और रणनीतिक सोच के लिए "भारतीय मैकियावेली" के रूप में जाना जाता है। कौटिल्य नाम चाणक्य को उनके पिता ने दिया था. उनके पिता चणक को मगध के राजा ने राजद्रोह का दोष लगा कर हत्या कर दिया. राज्य के सैनिकों से बचने के लिया अपना नाम बदलकर विष्णुगुप्त रख लिया था. आचार्य चाणक्य के द्वारा महान कृतियों में से एक 'अर्थशास्त्र' एवं 'नीतिशास्त्र' नामक ग्रंथों की रचना की. इन ग्रंथों में वर्णित नीतिया आज भी जन उपयोगी है. उनके ग्रंथ, अर्थशास्त्र को भारतीय राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में एक आधारभूत ग्रंथ माना जाता है। पाटलिपुत्र के राजा धननंद के द्वारा भरी सभा में आचार्य चाणक्य के अपमान किया गया. इस पर आचार्य चाणक्य बहुत क्रोधित होकर प्रतिज्ञा ली की जब तक मैं नंदों का नाश न कर लूँगा तब तक अपनी शिखा न बाँधूंंगा. चाणक्य अपने कूटनीति और बुद्धिमत्ता के बल पर. आचार्य चाणक्य ने चद्रगुप्त के साथ मिलकर धननंद को मर कर चद्रगुप्त को राजा बनाया.
मानव व्यवहार, नेतृत्व और शासन के बारे में चाणक्य की अंतर्दृष्टि आज भी प्रासंगिक है, जो व्यक्तियों और समाजों दोनों के लिए मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करती है। चाणक्य के शीर्ष उद्धरणों के इस संग्रह में, हम नैतिकता, नेतृत्व, रिश्तों और व्यक्तिगत विकास सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं पर उनके गहन ज्ञान पर चर्चा करते हैं। ये उद्धरण व्यावहारिक सलाह, विचारोत्तेजक अंतर्दृष्टि और कालातीत सिद्धांत प्रदान करते हैं जो आपको जीवन की चुनौतियों से निपटने और सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।
चाहे आप छात्र हों, पेशेवर हों या बस व्यक्तिगत विकास की तलाश में हों, चाणक्य के शब्द ज्ञान और प्रेरणा का खजाना प्रदान करते हैं। भारत के सबसे प्रभावशाली विचारकों में से एक के ज्ञान के माध्यम से इस यात्रा पर हमारे साथ जुड़ें।
यहा आचार्य चाणक्य के लोकप्रिय और जन उपयोगी सुविचारों का एक संग्रह दिया गया है जो आपके लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा.
- बूंद-बूंद से घड़ा भर जाता है, बूंद-बूंद के मिलने से नदी बन जाती है, पाई-पाई जोड़ने पर व्यक्ति धनवान बन जाता है। उसी प्रकार यदि निरंतर अभ्यास किया जाए तो मनुष्य के लिए कोई भी विद्या अप्राप्य नहीं रहती।
- आलस्य और अनभ्यास विद्वानों की बुद्धि को भी भ्रष्ट करके उनके ज्ञान का नाश कर देता है।
- जो विद्वान् निरंतर अभ्यास नहीं करता, उसके लिए शास्त्र भी विष के समान हो जाते हैं।
- स्त्री भी धन के समान है, इसलिए उसकी भी रक्षा करें।
- पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का साहस छह गुना होता है।
- स्त्री यदि हठ पर आ जाए तो वह क्या कर सकती है, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
- स्त्री की शक्ति के विषय में मनुष्य अनभिज्ञ होते हैं।
- पत्नी के वियोग का दुःख असहनीय होता है।
- राजा, अग्नि, गुरु और स्त्री; इन चारों की न तो अधिक निकटता ठीक होती है और न ही दूरी।
- दिल में प्यार रखनेवाले लोगों को दुःख ही झेलने पड़ते हैं।
- मनुष्य को सिंह और बगुले से एक-एक, गधे से तीन, मुरगे से चार, कौए से पाँच तथा कुत्ते से छह गुण ग्रहण करने चाहिए।
- समय पर जागना, युद्ध के लिए सदैव तत्पर रहना, बंधु-बांधवों को उनका उचित हिस्सा देना तथा अपने साथी का ध्यान रखना-मुरगे से ये चार गुण सीखने चाहिए।
- संग्रह की प्रवृत्ति, आलस्य न करना जैसे गुण कौए से ग्रहण करने चाहिए।
- अधिक खाने की शक्ति रखना, अभाव की स्थिति में थोड़े से ही संतोष करना, गहरी नींद में सोना, सोते समय भी सजग रहना, स्वामिभक्ति तथा वीरतापूर्वक शत्रुओं का सामना करना- ये छह गुण कुत्ते से सीखने चाहिए।
- बिना थके परिश्रम करते रहना, सर्दी गरमी की चिंता न करना तथा धैर्य एवं संतोष-ये गुण गधे से ग्रहण करने चाहिए।
- एक कुम्हार चाक पर घूमते मिट्टी के लोंदे को कभी प्यार से थपथपाकर, कभी सहलाकर तो कभी पीटकर उसे एक सुंदर बरतन का आकार दे देता है। बाद में वही बरतन अपनी सुंदरता से लोगों को आकर्षित करता है। माता-पिता को कुम्हार की भाँति मिट्टीरूपी संतान का पालन-पोषण करना चाहिए।
- पिता अपनी संतान का पाँच वर्ष तक लाड़-प्यार के साथ पालन-पोषणा करें। इसके बाद अगले दस साल तक उस पर सख्ती रखें। संतान जब सोलह वर्ष की हो जाए तो उसके साथ मित्रवत् व्यवहार करें।
- जो व्यक्ति निर्धन होने पर भी दानशील हो, उसे स्वर्ग से भी ऊपर स्थान प्राप्त होता है।
- योग्य व्यक्ति को दिया गया दान सहस्त्र गुना होकर वापस मिलता है।
- दान कभी व्यर्थ नहीं जाता है। दस गुना अधिक होकर पुनः प्राप्त हो जाता है।
- अपनी विद्वत्ता को सार्थक बनाए रखने के लिए मनुष्य को यथासंभव दान करते रहना चाहिए। इससे लोक और परलोक में उसका भला होता है।
- खेल और जीवन आपस में जुड़े हुए हैं।
- जो व्यक्ति कुशलतापूर्वक खेलते हैं, वे जीवन के रण में विजयी होते हैं
- जीवन एवं खेल की योजना में अधिक भिन्नता नहीं होती।
- धन और स्वास्थ्य मनुष्य के दो सबसे बड़े गुण हैं।
- जो व्यक्ति सावधान, सजग और जागरूक होगा, कोई उसका अहित नहीं कर सकता।
- विशालता पर बुद्धि, चतुराई, ओज और बल द्वारा विजय पाई जा सकती है।
- संकट आने पर मनुष्य किसी भी सीमा को लाँघ सकता है।
- सुसंस्कृत एवं विवेकयुक्त मनुष्य विपरीत परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम होने के कारण साहसपूर्वक विषम परिस्थितियों का सामना करते हैं।
- 'अब तो राज्य प्राप्त हो गया है'- यह सोचकर अन्यायपूर्ण व्यवहार नहीं करना चाहिए। ऐसे अन्यायी राजा का राज-पाट वैसे ही नष्ट हो जाता है, जैसे बुढ़ापा रूप-यौवन को नष्ट कर डालता है।
- जो राजा गुणी और प्रजापालक होता है, वह चाहे छोटे से राज्य का भी स्वामी क्यों न हो, पूरी पृथ्वी द्वारा पूजा जाता है और हमेशा अपने कार्यों में विजय प्राप्त करता है।
- जो राजा सच्चाई, साक्ष्य, गवाह और कानून के चार सिद्धांतों के अनुसार न्याय करता है, वह पूरी पृथ्वी पर जीत हासिल करता है।
- केवल एक व्यक्ति ही आगे बढ़ने का संकल्प लेता है, बाकी सब तो पीछे चलते हैं।
- अनेक सगे-संबंधी, मित्र, पत्नी आदि होने के बाद भी मनुष्य इस संसार में पूर्णतः अकेला है।
- अच्छे मनुष्यों को उनके गुणों द्वारा पहचाना जाता है।
- जो मनुष्य समर्थ, योग्य एवं साहसी होते हैं, उनके लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं होता।
- जीवन का एक-एक क्षण, प्रहर, दिवस अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसलिए मनुष्य को इसका सार्थकता से प्रयोग करना चाहिए।
- धन का संचय मनुष्य की बुद्धिमत्ता का परिचायक है।
- पुरुषार्थ द्वारा ईमानदारी से कमाया धन जीवनपर्यंत मनुष्य के साथ रहता है तथा उसमें निरंतर वृद्धि होती रहती है।
- धन के उपयोग से धन की महत्ता बढ़ती है।
- मनुष्य जो कर्म करता है, उसका भाग्य उसी के अनुरूप उसे फल प्रदान करता है।
- मनुष्य का व्यक्तित्व उसके संपूर्ण कृतित्व का दर्पण होता है।
- सद्भावना द्वारा मनुष्य के समस्त भय नष्ट हो जाते हैं।
- मनुष्य जैसा कर्म करता है, उसी के अनुरूप उसे अच्छे या बुरे फल की प्राप्ति होती है।
- दुःख व क्लेशरहित सुखमय जीवन सत्कर्मों से प्राप्त होता है।
- विद्यार्जन करनेवाले मनुष्य की समस्त मनोकामनाएँ अवश्य पूर्ण होती हैं।
- बुद्धि, विवेक और गुणों से युक्त व्यक्ति कुरूप भी हो तो भी उसके मार्ग में बाधा नहीं आती।
- दो व्यक्तियों की मित्रता तभी स्थायी रह सकती है, जब उनके मन-से- मन, गूढ़ बातों से गूढ़ बातें तथा बुद्धि-से-बुद्धि मिल जाती है।
- विश्वसनीय व्यक्ति ही सच्चा मित्र होता है।
- जो मनुष्य कोई रिश्ता न होने पर भी मैत्रीपूर्ण व्यवहार करे, उसी को अपना सच्चा मित्र, बंधु, आधार और आश्रय मानना चाहिए।
- सुख या दुःख, दोनों परिस्थितियों में साथ देनेवाला मनुष्य ही सच्चा मित्र कहलाता है।
- गुरु का ऋण संसार की बहुमूल्य वस्तु देकर भी नहीं चुकाया जा सकता।
- मनुष्य को ब्रह्म-शक्ति, आत्मा-परमात्मा के गूढ़ रहस्य और तत्त्वज्ञान का बोध गुरु द्वारा ही होता है।
- गुरु बिना ज्ञान संभव नहीं है।
- दुर्जन व्यक्ति काँटों के समान होते हैं, इसलिए या तो उन्हें जूते से मसल दें या उन्हें देखकर अपना मार्ग बदल लें।
- दूसरों की उन्नति को देखकर ईर्ष्या करना दुर्जन व्यक्ति का जन्मजात स्वभाव होता है।
- सर्प का विष उसके दाँत में, मधुमक्खी का मस्तक में तथा बिच्छू का पूँछ में होता है, जबकि दुर्जन व्यक्ति की संपूर्ण देह विषयुक्त होती है।
- तृष्णा से बढ़कर कोई रोग नहीं।
- जो व्यक्ति दूसरों की धन-संपत्ति, सौंदर्य, पराक्रम, उच्च कुल, सुख, सौभाग्य और सम्मान से ईर्ष्या व द्वेष करता है, वह असाध्य रोगी है। उसका यह रोग कभी ठीक नहीं हो सकता।
- पर निंदा एक घोर व्याधि है। इससे बचना चाहिए।
- पाप और अनाचार द्वारा अर्जित किया गया धन अधिक-से-अधिक दस वर्ष तक टिकता है। ग्यारहवें वर्ष उसका संपूर्ण धन सूद समेत चला जाता है।
- जिस प्रकार पूर्णिमा के चाँद के स्थान पर द्वितीया का छोटा चाँद पूजा जाता है, उसी प्रकार सद्गुणों से युक्त मनुष्य निर्धन एवं नीच कुल से संबंधित होते हुए भी पूजनीय होता है।
- जिस प्रकार चंदन वृक्ष पर लिपटे साँपों के जहरीले होने पर भी चंदन जहरीला नहीं होता और जिस प्रकार मिट्टी में फलित हुआ पुष्प मिट्टी की गंध से सराबोर नहीं होता, उसी प्रकार दुर्जन मनुष्यों की संगति में रहकर भी सज्जन मनुष्य अपनी सज्जनता और सत्कर्मों को नहीं भूलता।
- सुख-दुःख एवं उतार-चढ़ाव प्रत्येक मनुष्य के जीवन में आते-जाते हैं। मनुष्य को असहाय होने के स्थान पर साहसपूर्वक इनका सामना करना चाहिए।
- स्वस्थ रहना, उऋण रहना, परदेश में न रहना, सज्जनों के साथ मेल- जोल, स्व-व्यवसाय द्वारा आजीविका चलाना तथा भयमुक्त जीवन- यापन- ये छह बातें सांसारिक सुख प्रदान करती हैं।
- ईर्ष्यालु, घृणा करनेवाला, असंतोषी, क्रोधी, सदा संदेह करनेवाला तथा दूसरों के भाग्य पर जीवन बितानेवाला - ये छह तरह के लोग संसार में सदा दुःखी रहते हैं।
- नीच कुल में जनमा विद्वान् एवं गुणों से युक्त व्यक्ति भी समाज में ऊँचा स्थान प्राप्त करता है।
- कुल की शोभा सदाचार में होती है।
- महान् बनने के लिए मनुष्य का उच्च कुल में जन्म लेना ही पर्याप्त नहीं है। इसके लिए उसका सहनशील, संतोषी, विद्वान् एवं परोपकारी होना भी आवश्यक है।
- विद्वत्ता एवं गुणों के अभाव में उच्च कुल में जनमा व्यक्ति भी तिरस्कार का भागी बन जाता है।
- बुरे कर्म करके सुखों की कामना करना व्यर्थ है।
- उद्देश्यरहित दीर्घकालिक जीवन की अपेक्षा शुभ कर्मों से युक्त अल्पकालिक जीवन अधिक श्रेष्ठ है।
- यदि बबूल का झाड़ वसंत ऋतु में भी पत्तों से रहित रहता है तो इसमें वसंत का कोई दोष नहीं।
- उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देता तो इसमें सूर्य को दोष देना व्यर्थ है।
- यदि चातक के मुख में वर्षा की बूँदें नहीं गिरतीं तो इसमें मेघों का दोष नहीं है।
- सबसे बड़ा गुरु-मंत्र है: कभी भी अपने रहस्यों को किसी के साथ साझा न करें। यह आपको नष्ट कर देगा।
- यदि मार्ग कांटा भरा हो और आप नंगे पाव हो तो मार्ग बदल लेना चाहिए.
- आप का खुश रहना ही दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा है.
- शिक्षा सबसे अच्छा दोस्त है। एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मानित होता है। शिक्षा सौंदर्य और युवाओं को धड़कता है।
- ज्ञानी पुरुषों को संसार का भय नहीं होता।
- एक व्यक्ति बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए। सीधे पेड़ पहले कट जाते हैं और ईमानदार लोग पहले खराब हो जाते हैं।
- एक आदमी जन्म से नहीं, कर्मों से महान है।
- हमें अतीत के लिए परेशान नहीं होना चाहिए, न ही हमें भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए; समझदार पुरुष केवल वर्तमान क्षण पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
- जैसे ही डर निकट आता है, हमला करें और इसे नष्ट कर दें.
- यहां तक कि यदि एक सांप जहरीला नहीं है, तो यह विषैले होने का नाटक करना चाहिए।
- संतुलित मन के बराबर कोई तपस्या नहीं है, और संतुष्टि के बराबर कोई खुशी नहीं है; लोभ की तरह कोई बीमारी नहीं है, और दया की तरह कोई पुण्य नहीं है।
- एक शेर से सीखा जा सकता है कि एक उत्कृष्ट बात यह है कि जो कुछ भी आदमी चाहता है वह पूरी तरह से दिल से और दृढ़ प्रयास के साथ किया जाना चाहिए।
- कभी भी उन लोगों के साथ दोस्त न बनाएं जो आपके ऊपर या नीचे स्थिति में हैं। ऐसी दोस्ती आपको कभी भी कोई खुशी नहीं देगी।
- फूलों की सुगंध केवल हवा की दिशा में फैलती है। लेकिन किसी व्यक्ति की भलाई सभी दिशाओं में फैलती है।
- हर दोस्ती के पीछे कुछ स्वार्थ होता है. बिना स्वार्थ के दोस्ती नहीं होती. यह एक कड़वी सच्चाई है।
- एक बार जब आप किसी चीज़ पर काम करना शुरू कर देते हैं, तो विफलता से डरो मत और इसे छोड़ दें। जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वे सबसे खुश हैं।
- दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति एक महिला की युवा और सुंदरता है।
- अगर किसी के पास एक अच्छा स्वभाव है, तो अन्य गुणों की क्या आवश्यकता है? अगर किसी व्यक्ति की प्रसिद्धि है, तो अन्य आभूषण का मूल्य क्या है?
- हे बुद्धिमान आदमी! अपने धन को केवल योग्य और दूसरों के लिए दें। बादलों द्वारा प्राप्त समुद्र का पानी हमेशा मीठा होता है।
- एक अशिक्षित व्यक्ति का जीवन एक कुत्ते की पूंछ के रूप में बेकार है जो न तो अपने पीछे के अंत को कवर करता है, न ही कीड़ों के काटने से इसकी रक्षा करता है।
- एक अच्छी पत्नी वह है जो सुबह में अपने पति की सेवा मां की तरह करती है, उसे बहन की तरह दिन में प्यार करती है और रात में वेश्या की तरह उसे प्रसन्न करती है।
- जिसकी ज्ञान किताबों तक सीमित है और जिनकी संपत्ति दूसरों के कब्जे में है, उनके लिए न तो उनके ज्ञान और न ही धन का उपयोग कर सकते हैं जब उनकी आवश्यकता होती है।
- भगवान लकड़ी, पत्थर या मिट्टी की मूर्तियों में नहीं रहता है। उनका निवास हमारी भावनाओं, हमारे विचारों में है।
- किताबें बेवकूफ व्यक्ति के लिए उपयोगी होती हैं क्योंकि एक अंधे व्यक्ति के लिए दर्पण उपयोगी होता है।
- एक आदमी अकेला पैदा होता है और अकेले मर जाता है; और वह अकेले अपने कर्म के अच्छे और बुरे नतीजों का अनुभव करता है; और वह नरक या सर्वोच्च निवास के लिए अकेला चला जाता है।
- कामयाब होने के लिए अच्छे दोस्त की आवश्यकता होती है और ज्यादा कामयाब होने के लिए अच्छे शत्रुओ की आवश्यकता होती है.
- किसी भी व्यक्ति की वर्तमान स्थिति को देख कर उसके भविष्य का मजाक न उड़ाओ क्योंकि कल में इतनी शक्ति है की वह एक मामूली कोयले के टुकड़े को हीरे में तबदील कर दे.
- सभी प्राणी प्रेमपूर्ण शब्दों से प्रसन्न होते हैं; और इसलिए हमें उन शब्दों को संबोधित करना चाहिए जो सभी को प्रसन्न करते हैं, क्योंकि मिठाई शब्दों की कमी नहीं है।
- वह जो धन, अनाज और ज्ञान के अधिग्रहण में शर्मिंदा नहीं है, और अपना भोजन लेने में शर्मिंदा होगा.
- वासना के रूप में कोई बीमारी नहीं है (इतनी विनाशकारी); कोई दुश्मन भयावहता नहीं, क्रोध की तरह कोई आग नहीं, और आध्यात्मिक ज्ञान जैसी कोई खुशी नहीं है।
- एक इंसान को जीवन में चार चीजों के लिए प्रयास करना चाहिए - धर्म (कर्तव्य), अर्थ (धन), काम (खुशी) और मोक्ष (मोक्ष)। एक व्यक्ति जिसने इन चीजों में से किसी एक के लिए भी प्रयास नहीं किया है, वह जीवन बर्बाद कर चुका है।
- सांप के फन, मक्खी के मुख और बिच्छु के डंक में ज़हर होता है; पर दुष्ट व्यक्ति तो इससे भरा होता है.
- वेश्याएं निर्धनों के साथ नहीं रहतीं, नागरिक कमजोर संगठन का समर्थन नहीं करते, और पक्षी उस पेड़ पर घोंसला नहीं बनाते जिस पे फल ना हों.
- हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए; विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं.
- कभी भी उस चीज से कम में मत मानो जिसके आप लायक हो। यह गर्व की बात नहीं, यह स्वाभिमान का है.
- दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति नौजवानी और औरत की सुन्दरता है.
- आलसी का कोई वर्तमान और भविष्य नहीं है।
- कोई भी शक्तिशाली दिमाग को हरा नहीं सकता है।
- पहले पांच सालों में अपने बच्चे को बड़े प्यार से रखिये. अगले पांच साल उन्हें डांट-डपट के रखिये. जब वह सोलह साल का हो जाये तो उसके साथ एक मित्र की तरह व्यवहार करिए. आपके वयस्क बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र हैं.
- जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को अगर आग लगा दी जाये तो वह पूरा जंगल जला देता है, उसी प्रकार एक पापी पुत्र पुरे परिवार को बर्वाद कर देता है.
- उन लोगों से कभी दोस्ती न करें, जो आपसे ऊपर या नीचे के दर्जे के हैं। ऐसी दोस्ती आपको कभी खुशी नहीं देगी।
- आपका खुश रहना ही आपके दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा है.
- अति सर्वत्र वर्जित मानी गयी है. अति सुन्दर होने के कारण सीता का अपहरण हो गया. अति घमंड के कारण रावण मारा गया. अति दानी होने के कारण हरिश्चन्द्र को घोर संकट का सामना करना पड़ा. अति शराब सेवन करने वाला शीघ्र मर जाता है. फलस्वरूप अति सर्वत्र वर्जित की गयी है.
- अतिथि सबके गुरु होते है.
- शास्त्र अनंत है, विद्या अनेकों प्रकार की है, किन्तु जीवन थोड़ा है, बाधाए अनेक है. इस कारण जो सारभूत है, उसे ही ग्रहण कर लेना चाहिए. जैसे हंस दूध और पानी में से दूध पी लेता है , पानी छोड़ देता है.
- मनुष्य की प्रगति और विनाश उसके अपने व्यवहार पर निर्भर करता है.
- क्रोध मृत्यु है.
- क्षमाशील पुरुष का तप बढ़ता रहता है.
- गरीब व्यक्ति को सभी छोड़ देते है. मित्र ,स्त्री , नौकर स्नेहीजन भी गरीब का आदर नही करते.
- दरिद्रता, रोग, दुःख, बंधन और विपत्तियाँ ये सब मनुष्यों के अपने ही बुरे कर्म रूपी वृक्ष के फल है.
- विनय सबका आभूषण है.
- एक गुण समस्त दोषों को ढक देता है.
- जो आदमी केवल उम्मीद पर जीता है, उसे भूखा मरना पड़ता है.
- मनुष्य स्वयं ही अपने दुःख का कारण होता है, दूसरा नही.
- भावना के बल पर सब कार्य सम्पन्न होते है. पहले मनुष्य को अपनी भावना इस अनुरूप बनानी चाहिए.
Chanakya Quotes in Hindi Pictures, Images
निष्कर्ष (Conclusion)
चाणक्य की शाश्वत बुद्धि आज भी विभिन्न पीढ़ियों और संस्कृतियों के लोगों के साथ गूंजती रहती है। उनके व्यावहारिक उद्धरण जीवन के विभिन्न पहलुओं, नेतृत्व और नैतिकता से लेकर व्यक्तिगत विकास और रिश्तों पर मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उनके सिद्धांतों को अपनाकर और उन्हें अपने जीवन में लागू करके, आप अपने और अपने आस-पास की दुनिया के बारे में गहरी समझ विकसित कर सकते हैं और अंततः अधिक सफलता और संतुष्टि प्राप्त कर सकते हैं।
जब आप इन उद्धरणों पर विचार करते हैं, तो विचार करें कि वे आपको अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव करने के लिए कैसे प्रेरित कर सकते हैं। चाहे वह एक मजबूत कार्य नैतिकता विकसित करना हो, स्वस्थ संबंधों को बढ़ावा देना हो, या जीवन के प्रति अधिक नैतिक दृष्टिकोण विकसित करना हो, चाणक्य की शिक्षाएँ एक अधिक पूर्ण और सार्थक अस्तित्व के लिए एक रोडमैप प्रदान करती हैं।
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