हनुमान चालीसा
विषय-सूचि:-
हनुमान चालीसा
हनुमान चालीसा, हिंदू धर्म की एक महत्वपूर्ण और प्रचलित स्तुति है, जिसे गोस्वामी तुलसीदास ने 16वीं शताब्दी में रचा था। यह स्तुति हनुमान जी की महिमा का बखान करती है और उनकी भक्ति एवं शक्तियों का वर्णन करती है। हनुमान चालीसा हिंदी साहित्य और हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह भक्ति का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें भगवान हनुमान की अलौकिक शक्ति और भक्तों के प्रति उनकी कृपा का बखान किया गया है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति और आत्मविश्वास मिलता है, और यह मान्यता है कि इससे हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।
हनुमान चालीसा का महत्व
- धार्मिक महत्व: हनुमान चालीसा का पाठ हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। यह भक्तों को मनोकामना पूर्ति, संकट निवारण और आत्मिक शांति प्रदान करने के लिए जाना जाता है।
- साहित्यिक महत्व: तुलसीदास द्वारा रचित, यह चालीसा अवधी भाषा में लिखी गई है और इसकी सरलता और प्रभावशाली भाषा शैली ने इसे आम जनता के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया है।
- सांस्कृतिक महत्व: हनुमान चालीसा भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। यह विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों, उत्सवों और पूजा-पाठ का हिस्सा है।
हनुमान जी का परिचय
हनुमान जी, जिन्हें बजरंगबली, पवनसुत, और अंजनीपुत्र के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं। वे अपने अद्वितीय साहस, भक्ति और सेवा भाव के लिए प्रसिद्ध हैं। हनुमान जी का चरित्र रामायण में प्रमुख रूप से उभरकर आता है, जहां वे भगवान राम के परम भक्त और उनके सेवक के रूप में जाने जाते हैं। उनकी भक्ति और निष्ठा के कारण वे देवताओं में सर्वोच्च स्थान रखते हैं।
हनुमान चालीसा का संरचना
हनुमान चालीसा 40 छंदों का एक संग्रह है, जिसमें हनुमान जी के जीवन, गुणों, और उनकी लीलाओं का वर्णन किया गया है। प्रत्येक छंद हनुमान जी की महिमा का गान करता है और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करता है। इसे अत्यंत सरल और मधुर भाषा में लिखा गया है, जिससे यह सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए सुलभ और प्रिय है।
हनुमान चालीसा का महत्व
हनुमान चालीसा के पाठ का विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का निवारण होता है। भक्तों का मानना है कि हनुमान चालीसा से भय और नकारात्मकता दूर होती है, और मानसिक शांति तथा आत्मबल में वृद्धि होती है। हनुमान जी की कृपा से कठिन परिस्थितियों में भी व्यक्ति आत्मविश्वास और साहस से भर जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
हालांकि हनुमान चालीसा का आध्यात्मिक महत्व प्रमुख है, लेकिन इसके पाठ के वैज्ञानिक लाभ भी देखे गए हैं। इसके नियमित पाठ से मानसिक शांति और एकाग्रता में वृद्धि होती है। इसके छंदों का उच्चारण मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होता है और व्यक्ति के मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
सम्पूर्ण हनुमान चालीसा
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि !
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि !!
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार !
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार !!
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर..
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा ॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै॥
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया ॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे ॥
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा ॥
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना ॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै ॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै ॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा ॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै ॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै ॥
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई ॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा ॥
दोहा :
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥
निष्कर्ष (Conclusion)
हनुमान चालीसा केवल एक स्तुति नहीं है, बल्कि यह हनुमान जी की महानता और उनकी भक्ति की एक अमूल्य धरोहर है। यह हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति और निष्ठा से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से हमें जीवन में धैर्य, साहस और सकारात्मकता मिलती है, और हनुमान जी की कृपा से हमारा जीवन समृद्ध और शांतिपूर्ण बनता है।
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